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*एक अनोखे प्रेम का संबंध**एक बार एक चिड़िया का बच्चा आकाश में उड़ता हुआ अचानक किसी घर के आंगन में पड़ा दाना देख कर उसे चुगने के लिए वहां पर जा पहुंचा। जब वह दाना चुग कर वापिस आकाश में उड़ने लगा तो ना जाने कैसे वह उस घर के एक कमरे के दरवाजे से उसमें जा घुसा। कमरे में घुसकर उसे कमरे से बाहर जाने का रास्ता भूल गया और वह घबरा कर कमरे में ही कभी इधर तो कभी उधर भटकने लगा। कभी वह कमरे के एक छोर पर मौजूद जालीदार खिड़की से चहकता हुआ बाहर जाने की कोशिश करता तो कभी दूसरे छोर की खिड़की से, जब वह थक जाता तो पंखे पर जाकर बैठ जाता। परंतु किसी भी हाल में वह अपने बाहर जाने का रास्ता नहीं ढूंढ पाया।**अंत में जब उस चिड़िया के बच्चे की मां उसे ढूंढती हुई उस घर में पहुंची तो उसने खिड़की से अपने बच्चे को तड़पते हुए उस कमरे से बाहर आने की कोशिश करते हुए देखा। यह सब देख कर उसकी मां ने अपने बच्चे की मदद करनी चाही। उसने खिड़की के अंदर से देख रहे आपने बच्चे को आवाज देकर कहा कि "बच्चे अब तुम घबराओ नही क्योंकि अब मैं आ गई हूं और मैं यहां से तुम्हें बाहर निकलने में तुम्हारी पूरी मदद करूंगी।" ऐसा कह कर उसकी मां ने खुद यह निर्णय किया कि वह उस कमरे में जाकर अपने बच्चे को बाहर लेकर आएगी। उसकी मां कमरे में दरवाजे के रास्ते से घुसी और उस कमरे के पंखे पर जा बैठी फिर जैसे ही वह बच्चा अपनी मां को पंखे पर बैठा देख कर अपनी मां के पास आकर बैठा तो उसकी मां उस कमरे के दरवाजे से बाहर की ओर उड़ गई और पीछे-पीछे उसका बच्चा भी उड़कर उस कमरे से बाहर आ गया और दोनों खुशी-खुशी अपने घर की और लौट गए।**मित्रों यह कहानी केवल चिड़िया और उसके बच्चे की ही नहीं थी बल्कि हमारी और हमारे पिता परमेश्वर की भी है। हम सब भी अपने पिता के ऐसे ही नादान बच्चे हैं जो इस संसार रुपी कमरे में आकर कैद हो चुके हैं और अब इससे बाहर निकलने का रास्ता भूल चुके हैं। परंतु हमारे पिता के साथ हमारा एक अनोखे प्रेम का संबंध है। जिसके चलते वह हमें इस संसार रुपी कमरे की कैद से बाहर निकालने में हमारी मदद करने के लिए आते हैं। भगवान श्री कृष्ण गीता में अर्जुन से यह कहते हैं कि "हे अर्जुन! अपने भक्तो का उद्धार करने, दुष्टों का संहार करने तथा धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूं।"**जब कभी भी प्राणी इस संसार रुपी कमरे में आकर फंस जाते हैं और बहुत दुखी हो जाते हैं तो भगवान इस धरती पर अवतरित होकर अपने बच्चों को इस संसार रुपी कैद से मुक्त होने में उनकी मदद करने के लिए अवश्य आते हैं। जो बच्चे पूरी लगन और मेहनत के साथ अपने पिता द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते हैं वह शीघ्र ही इस संसार रुपी कैद से स्वतंत्र हो जाते हैं और सदा के लिए अपने पिता के साथ उनके धाम में निवास करते हैं। इसी को यहां पर "एक अनोखे प्रेम के संबंध" का नाम दिया गया है क्योंकि इस संबंध में एक पिता और एक पुत्र का आपसी गहरा प्रेम समाहित है।*#वनिता #कासनियां #पंजाब ❤️राधे राधे ❤️*कान्हा दीवानी*

*एक अनोखे प्रेम का संबंध*

*एक बार एक चिड़िया का बच्चा आकाश में उड़ता हुआ अचानक किसी घर के आंगन में पड़ा दाना देख कर उसे चुगने के लिए वहां पर जा पहुंचा। जब वह दाना चुग कर वापिस आकाश में उड़ने लगा तो ना जाने कैसे वह उस घर के एक कमरे के दरवाजे से उसमें जा घुसा। कमरे में घुसकर उसे कमरे से बाहर जाने का रास्ता भूल गया और वह घबरा कर कमरे में ही कभी इधर तो कभी उधर भटकने लगा। कभी वह कमरे के एक छोर पर मौजूद जालीदार खिड़की से चहकता हुआ बाहर जाने की कोशिश करता तो कभी दूसरे छोर की खिड़की से, जब वह थक जाता तो पंखे पर जाकर बैठ जाता। परंतु किसी भी हाल में वह अपने बाहर जाने का रास्ता नहीं ढूंढ पाया।*
*अंत में जब उस चिड़िया के बच्चे की मां उसे ढूंढती हुई उस घर में पहुंची तो उसने खिड़की से अपने बच्चे को तड़पते हुए उस कमरे से बाहर आने की कोशिश करते हुए देखा। यह सब देख कर उसकी मां ने अपने बच्चे की मदद करनी चाही। उसने खिड़की के अंदर से देख रहे आपने बच्चे को आवाज देकर कहा कि "बच्चे अब तुम घबराओ नही क्योंकि अब मैं आ गई हूं और मैं यहां से तुम्हें बाहर निकलने में तुम्हारी पूरी मदद करूंगी।" ऐसा कह कर उसकी मां ने खुद यह निर्णय किया कि वह उस कमरे में जाकर अपने बच्चे को बाहर लेकर आएगी। उसकी मां कमरे में दरवाजे के रास्ते से घुसी और उस कमरे के पंखे पर जा बैठी फिर जैसे ही वह बच्चा अपनी मां को पंखे पर बैठा देख कर अपनी मां के पास आकर बैठा तो उसकी मां उस कमरे के दरवाजे से बाहर की ओर उड़ गई और पीछे-पीछे उसका बच्चा भी उड़कर उस कमरे से बाहर आ गया और दोनों खुशी-खुशी अपने घर की और लौट गए।*

*मित्रों यह कहानी केवल चिड़िया और उसके बच्चे की ही नहीं थी बल्कि हमारी और हमारे पिता परमेश्वर की भी है। हम सब भी अपने पिता के ऐसे ही नादान बच्चे हैं जो इस संसार रुपी कमरे में आकर कैद हो चुके हैं और अब इससे बाहर निकलने का रास्ता भूल चुके हैं। परंतु हमारे पिता के साथ हमारा एक अनोखे प्रेम का संबंध है। जिसके चलते वह हमें इस संसार रुपी कमरे की कैद से बाहर निकालने में हमारी मदद करने के लिए आते हैं। भगवान श्री कृष्ण गीता में अर्जुन से यह कहते हैं कि "हे अर्जुन! अपने भक्तो का उद्धार करने, दुष्टों का संहार करने तथा धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूं।"*

*जब कभी भी प्राणी इस संसार रुपी कमरे में आकर फंस जाते हैं और बहुत दुखी हो जाते हैं तो भगवान इस धरती पर अवतरित होकर अपने बच्चों को इस संसार रुपी कैद से मुक्त होने में उनकी मदद करने के लिए अवश्य आते हैं। जो बच्चे पूरी लगन और मेहनत के साथ अपने पिता द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते हैं वह शीघ्र ही इस संसार रुपी कैद से स्वतंत्र हो जाते हैं और सदा के लिए अपने पिता के साथ उनके धाम में निवास करते हैं। इसी को यहां पर "एक अनोखे प्रेम के संबंध" का नाम दिया गया है क्योंकि इस संबंध में एक पिता और एक पुत्र का आपसी गहरा प्रेम समाहित है।*
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*कान्हा दीवानी*

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#देवशयनी_एकादशी_की_व्रत_कथापौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग के समय में एक अत्यंत पराक्रमी एवं धर्मनिष्ठ राजा मांधाता राज्य किया करते थे। उनके राज्य में प्रजागण अत्यंत सुखी, संपन्न और #धर्म परायण थे। इसी कारण राजा ने वहां पर बिना किसी समस्या के कई वर्षों तक सुखपूर्वक राज्य किया।लेकिन इस #परिदृश्य में बदलाव तब आया जब वहां तीन वर्षों तक बारिश की एक बूंद भी नहीं पड़ी और पूरे राज्य में सूखा पड़ गया। पूरा राज्य अकाल की भयंकर समस्या से जूझने लगा और इन तीन वर्षों में अन्न और फलों का एक दाना भी नहीं उपजा। ऐसे में राजा की धर्मनिष्ठा और प्रजा वत्सलता पर भी प्रश्न उठने लगे।इन विषम परिस्थितियों से थक-हार कर आखिरकार सभी प्रजागण राजा के पास सहायता मांगने पहुंच गए। उन सभी ने राजा के समक्ष हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहा कि- हे राजन, हमारे पास अब केवल आपका ही सहारा है, इसलिए हम आपकी शरण में आए हैं, कृपया इस कठिन परिस्थिति में हमारी मदद एवं रक्षा करें।प्रजा की प्रार्थना सुनकर राजा ने कहा कि, शास्त्रों में वर्णित है कि यदि कोई राजा अधर्म का अनुसरण करता है तो उसका दंड उसकी प्रजा को भुगतना पड़ता है। मैं अपने भूत और वर्तमान पर गहरा चिंतन कर चुका हूं, लेकिन मुझे फिर भी ऐसा कोई पाप याद नहीं आ रहा, लेकिन फिर भी प्रजा के हित के लिए मैं इस स्थिति का निवारण अवश्य करूंगा।यह संकल्प लेकर राजा अपनी सेना के साथ वन की ओर निकल पड़े। जंगल में विचरण करते हुए, वे अंगिरा ऋषि के आश्रम पहुंच गए। राजा ने ऋषि को प्रणाम किया और ऋषिवर ने राजा को आर्शीवाद देते हुए, जंगल में आने का कारण पूछा। राजा ने बड़े दुखी मन से ऋषि मुनि को अपनी समस्या बताई।राजा की इस विषम स्थिति को देखकर ऋषि अंगिरा ने कहा, हे राजन वर्तमान सतयुग में मात्र ब्राह्मणों को ही वैदिक तपस्या की अनुमति दी जाती है लेकिन आपके राज्य में एक शुद्र है जो इस समय घोर तपस्या में लीन है। उसकी तपस्या के कारण ही तुम्हारे राज्य में वर्षा नहीं हो रही है।अगर आप उस शुद्र को मृत्यु दंड दे देंगे तो आपके राज्य में पुनः वर्षा एवं सुख-समृद्धि का आगमन होगा। ऋषि की बात सुनकर राजा ने हाथ जोड़कर कहा, हे ऋषिवर मैं एक अपराध मुक्त तपस्वी को दंड नहीं दे पाऊंगा। आप कृपा करके मुझे कोई और उपाय बताएं।राजा की #आत्मीयता को देखकर ऋषि अंगिरा अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने कहा- हे राजन आप अपने परिवार और समस्त प्रजा सहित आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली शयनी एकादशी का नियम पूर्वक पालन करें। इसके प्रभाव से आपके राज्य में प्रचुर मात्रा में वर्षा होगी और आपके भंडार धन-धान्य से समृद्ध हो जाएंगे।ऋषि अंगिरा के वचन से संतुष्ट और प्रसन्न होकर राजा ने ऋषि को प्रणाम किया और अपनी सेना के साथ अपने राज्य लौट आए। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में जब शयनी एकादशी आई तो राजा ने समस्त प्रजागण और अपने परिवार के साथ श्रद्धा और निष्ठा पूर्वक उसका पालन किया। इस व्रत के पुण्यप्रभाव से राज्य में पुनः वर्षा हुई और सूखा खत्म हो गया। सभी प्रजागण एक बार फिर से सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगे और राजकोष धन धान्य से भर गया।By#वनिता #कासनियां #पंजाबकान्हा दीवानी वनिता राधे राधे की और से सभी को देव शयनी #एकादशी की मंगल मय शुभ कामनाएं

#देवशयनी_एकादशी_की_व्रत_कथा पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग के समय में एक अत्यंत पराक्रमी एवं धर्मनिष्ठ राजा मांधाता राज्य किया करते थे। उनके राज्य में प्रजागण अत्यंत सुखी, संपन्न और #धर्म परायण थे। इसी कारण राजा ने वहां पर बिना किसी समस्या के कई वर्षों तक सुखपूर्वक राज्य किया। लेकिन इस #परिदृश्य में बदलाव तब आया जब वहां तीन वर्षों तक बारिश की एक बूंद भी नहीं पड़ी और पूरे राज्य में सूखा पड़ गया। पूरा राज्य अकाल की भयंकर समस्या से जूझने लगा और इन तीन वर्षों में अन्न और फलों का एक दाना भी नहीं उपजा। ऐसे में राजा की धर्मनिष्ठा और प्रजा वत्सलता पर भी प्रश्न उठने लगे। इन विषम परिस्थितियों से थक-हार कर आखिरकार सभी प्रजागण राजा के पास सहायता मांगने पहुंच गए। उन सभी ने राजा के समक्ष हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहा कि- हे राजन, हमारे पास अब केवल आपका ही सहारा है, इसलिए हम आपकी शरण में आए हैं, कृपया इस कठिन परिस्थिति में हमारी मदद एवं रक्षा करें। प्रजा की प्रार्थना सुनकर राजा ने कहा कि, शास्त्रों में वर्णित है कि यदि कोई राजा अधर्म का अनुसरण करता है तो उसका दंड उसकी प्रजा को भुगतना पड़ता है। मैं ...

कभी विष्णु कभी शिव बन भक्त को छकाते भगवान भक्तों को आनन्द और शिक्षा देने के लिए होती है भगवान की लीला!!!!!!! By वनिता कासनियां पंजाब ?तीन बार ऐसा हुआ कि नरहरि सुनार को आंखें बंद करने पर शंकर और आंखें खोलने पर विट्ठल भगवान के दर्शन होते थे । तब नरहरि सुनार को आत्मबोध हुआ कि जो शंकर हैं, वे ही विट्ठल (विष्णु) हैं और जो विट्ठल हैं, वे ही शंकर हैं, दोनों एक ही हरिहर हैं । भगवान शिव और विष्णु की एकता दर्शाती एक मनोरंजक भक्ति कथा,,,,,,इस कथा को लिखने का उद्देश्य पाठकों को यह बताना है कि भगवान विष्णु और शंकर में कोई भेद नहीं है, दोनों एक ही हैं । भगवान शंकर और विष्णु वास्तव में दो घड़ों में रखे हुए जल की भांति हैं । जल एक ही है, सिर्फ घड़े दो हैं । इसी भाव को लोगों तक पहुंचाने के लिए भगवान शंकर ने अपने भक्त नरहरि सुनार के साथ एक लीला की । भगवान जब कोई लीला करते हैं तो उसके पीछे कोई महान शिक्षा या आदर्श छिपा रहता है और भक्तों को उससे आनन्द मिलता है ।नरहरि सुनार : शिव भक्त पर विष्णु द्रोहीपुराने समय में पण्ढरपुर में नरहरि सुनार नाम के ऐसे शिव भक्त हुए जिन्होंने पण्ढरपुर में रहकर भी कभी पण्ढरीनाथ श्रीपाण्डुरंग के दर्शन नहीं किए । उनकी ऐसी विलक्षण शिवभक्ति थी । लेकिन भगवान को जिसे अपने दर्शन देने होते हैं, वे कोई-न-कोई लीला रच ही देते हैं ।भगवान की लीला से एक व्यक्ति इन्हें श्रीविट्ठल (भगवान विष्णु) की कमर की करधनी बनाने के लिए सोना दे गया और उसने भगवान की कमर का नाप बता दिया । नरहरि ने करधनी तैयार की, पर जब वह भगवान को पहनाई गयी तो वह चार अंगुल बड़ी हो गयी । उस व्यक्ति ने नरहरि से करधनी को चार अंगुल छोटा करने को कहा । करधनी सही करके जब दुबारा श्रीविट्ठल को पहनाई गयी तो वह इस बार चार अंगुल छोटी निकली । फिर करधनी चार अंगुल बड़ी की गयी तो वह भगवान को चार अंगुल बड़ी हो गयी । फिर छोटी की गयी तो वह चार अंगुल छोटी हो गयी । इस तरह करधनी को चार बार छोटा-बड़ा किया गया ।आंखों पर पट्टी बांधकर नरहरि ने लिया भगवान का नाप!!!!!!लाचार होकर नरहरि सुनार ने स्वयं चलकर श्रीविट्ठल का नाप लेने का निश्चय किया । पर कहीं भगवान के दर्शन न हो जाएं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली । हाथ बढ़ाकर जो वह मूर्ति की कमर टटोलने लगे तो उनके हाथों को पांच मुख, दस हाथ, सर्प के आभूषण, मस्तक पर जटा और जटा में गंगा—इस तरह की शिवजी की मूर्ति का अहसास हुआ । उनको विश्वास हो गया कि ये तो उनके आराध्य भगवान शंकर ही हैं ।उन्होंने अपनी आंखों की पट्टी खोल दी और ज्यों ही मूर्ति को देखा तो उन्हें श्रीविट्ठल के दर्शन हुए । फिर आंखें बंद करके मूर्ति को टटोला तो उन्हें पंचमुख, चन्द्रशेखर, गंगाधर, नागेन्द्रहाराय श्रीशंकर का स्वरूप प्रतीत हुआ।आंखें बंद करने पर शंकर, आंखें खोलने पर विट्ठल!!!!!!!तीन बार ऐसा हुआ कि आंखें बंद करने पर शंकर और आंखें खोलने पर नरहरि सुनार को विट्ठल भगवान के दर्शन होते थे । तब नरहरि सुनार को आत्मबोध हुआ कि जो शंकर हैं, वे ही विट्ठल (विष्णु) हैं और जो विट्ठल हैं, वे ही शंकर हैं, दोनों एक ही हरिहर हैं ।अभी तक उनकी जो भगवान शंकर और विष्णु में भेदबुद्धि थी, वह दूर हो गयी और उनका दृष्टिकोण व्यापक हो गया । अब वे भगवान विट्ठल के भक्तों के ‘बारकरी मण्डल’ में शामिल हो गए । सुनार का व्यवसाय करते हुए हुए भी इन्होंने अभंग (भगवान विट्ठल या बिठोवा की स्तुति में गाए गए छन्द) की रचना की । इनके एक अभंग का भाव कितना सुन्दर है—‘भगवन् ! मैं आपका एक सुनार हूँ, आपके नाम का व्यवहार (व्यवसाय) करता हूँ । यह गले का हार देह है, इसका अन्तरात्मा सोना है। त्रिगुण का सांचा बनाकर उसमें ब्रह्मरस भर दिया । विवेक का हथौड़ा लेकर उससे काम-क्रोध को चूर किया और मनबुद्धि की कैंची से राम-नाम बराबर चुराता रहा । ज्ञान के कांटे से दोनों अक्षरों को तौला और थैली में रखकर थैली कंधे पर उठाए रास्ता पार कर गया। यह नरहरि सुनार, हे हरि ! तेरा दास है, रातदिन तेरा ही भजन करता है ।’शिव-द्रोही वैष्णवों को और विष्णु-द्वेषी शैवों को इस कथा से सीख लेनी चाहिए ।पद्मपुराण पा ११४।१९२ में भगवान शंकर विष्णुजी से कहते हैं—न त्वया सदृशो मह्यं प्रियोऽस्ति भगवन् हरे ।पार्वती वा त्वया तुल्या न चान्यो विद्यते मम ।।अर्थात्—औरों की तो बात ही क्या, पार्वती भी मुझे आपके समान प्रिय नहीं है ।इस पर भगवान विष्णु ने कहा—‘शिवजी मेरे सबसे प्रिय हैं, वे जिस पर कृपा नहीं करते उसे मेरी भक्ति प्राप्त नहीं होती है ।’कूर्मपुराण में ब्रह्माजी ने कहा है—‘जो लोग भगवान विष्णु को शिवशंकर से अलग मानते हैं, वे मनुष्य नरक के भागी होते हैं ।’* सिव द्रोही मम भगत कहावा। सो नर सपनेहुँ मोहि न पावा॥संकर बिमुख भगति चह मोरी। सो नारकी मूढ़ मति थोरी॥भावार्थ:- जो शिव से द्रोह रखता है और मेरा भक्त कहलाता है, वह मनुष्य स्वप्न में भी मुझे नहीं पाता। शंकरजी से विमुख होकर (विरोध करके) जो मेरी भक्ति चाहता है, वह नरकगामी, मूर्ख और अल्पबुद्धि है॥* संकरप्रिय मम द्रोही सिव द्रोही मम दास।ते नर करहिं कलप भरि घोर नरक महुँ बास॥भावार्थ:- जिनको शंकरजी प्रिय हैं, परन्तु जो मेरे द्रोही हैं एवं जो शिवजी के द्रोही हैं और मेरे दास (बनना चाहते) हैं, वे मनुष्य कल्पभर घोर नरक में निवास करते हैं॥

कभी विष्णु कभी शिव बन भक्त को छकाते भगवान भक्तों को आनन्द और शिक्षा देने के लिए होती है भगवान की लीला!!!!!!! By  वनिता कासनियां पंजाब  ? तीन बार ऐसा हुआ कि नरहरि सुनार को आंखें बंद करने पर शंकर और आंखें खोलने पर विट्ठल भगवान के दर्शन होते थे । तब नरहरि सुनार को आत्मबोध हुआ कि जो शंकर हैं, वे ही विट्ठल (विष्णु) हैं और जो विट्ठल हैं, वे ही शंकर हैं, दोनों एक ही हरिहर हैं । भगवान शिव और विष्णु की एकता दर्शाती एक मनोरंजक भक्ति कथा,,,,,, इस कथा को लिखने का उद्देश्य पाठकों को यह बताना है कि भगवान विष्णु और शंकर में कोई भेद नहीं है, दोनों एक ही हैं । भगवान शंकर और विष्णु वास्तव में दो घड़ों में रखे हुए जल की भांति हैं । जल एक ही है, सिर्फ घड़े दो हैं । इसी भाव को लोगों तक पहुंचाने के लिए भगवान शंकर ने अपने भक्त नरहरि सुनार के साथ एक लीला की । भगवान जब कोई लीला करते हैं तो उसके पीछे कोई महान शिक्षा या आदर्श छिपा रहता है और भक्तों को उससे आनन्द मिलता है । नरहरि सुनार : शिव भक्त पर विष्णु द्रोही पुराने समय में पण्ढरपुर में नरहरि सुनार नाम के ऐसे शिव भक्त हुए जिन्होंने पण्ढरपुर में रहकर ...

🌹 ((((राधे राधे राधे 🌹 ++++++++++++++++ 🌻 मंगलमय शुभ प्रभात वंदन 🌻 🚩═════•ॐ•═════🚩 ꧁#जय_श्री__कृष्ण꧂ 💢💢💢💢💢༺꧁ Զเधॆ Զเधॆ꧂༻ 🌹🌹🌹 . 🌹 🌹जय श्री कृष्ण जय श्री राधे राध्ध्ध्ध्धे सभी भक्त अपनी हाजरी लगाये💐 #जयश्री #राधे_राधे 💐÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷ वृन्दावन का कण कण बोले श्री राधा..श्री राथा.. श्री राधा ..श्री राधाहमारो धन राधा श्रीराधा श्रीराधा हमारो धन रा-धा राधा राधा।प्राणधन रा-धा राधा राधा।🌹 जीवन धन रा-धा राधा राधा🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹*बरसाने की लाड़ली राधा,**हर लेती है सब दुःख बाधा,**राधा के संग झूमें कान्हाँ,**कान्हाँ के संग झूमीं सखियाँ,* *ये अंबर बोले राधा,* *बृज मंडल बोले राधा,**कान्हाँ की मुरली बोले राधा,**राधा राधा बस राधा,**इश्क तृष्णा, ओ मेरे कृष्णा,**मीरा रोये दिन रात,**विष क्या होता, शम्भू से पूछो,**मीरा से पूछो ना ये बात,**राधे, राधे राधे बोल मना,**तन का क्या पता,*🌹🌹🌹🌹🌹🌹*गोपाल गोविन्द बोल मना,**हरी हरी बोल मना,**कृष्णा, राधे कृष्णा बोल मना,**राधे श्याम बोल मना,* *राधे, राधे राधे बोल मना,**तन का क्या पता,* *राधे, राधे राधे बोल मना,**तन का क्या पता*🌹🌹🌹🌹🌹🌹प्रेम की सागर हैं राधा , अंन्नत प्रेम की मोती है राधा ,,, फूलो की खूशबू है राधा , नदियां की धारा है राधा ...!मोहन को मोह लेती है राधा, प्रेम प्रेम में तपती है राधा ,,,श्याम के मन में बसती राधा, वृंदावन की हस्ती हैं राधा ...!महारास के प्राण है राधा, बृज की आधार है राधा ,,,श्याम चंदा तो चकोरी राधा, वंशीवट की छैया है राधा ...!मुरली की हर धुन हैं राधा, प्रेम का हर कण कण है राधा ,,,मोहन की मनमीत है राधा, सूरज की किरणों सी है राधा ...! | |जय श्री राधे कृष्ण| |🌹जय जय श्रीराधे श्रीराधे श्रीराधे🌹🌹 | |श्री राधे श्री राधे ||🌹🌹 राधे के नाम का अंदाज बहुत है निराला,लिया जिसने यह नाम,राधे ने उसके हर दुःख को है टाला । राधे नाम की महिमा है बहुत भारी क्योंकि राधे के नाम से जुड़ा है श्री बांके बिहारी । जय जय श्री राधा रमन बिहारी की ।*श्री राधे" नाम अनंत हैं "श्री राधे" नाम अनमोल*🌹*जीवन सफल हो जायेगा बन्दे, "जय श्री राधे" तो बोल...!!* *जय श्री राधे🌹जय श्री राधेԶเधे Զเधे जपा करो, कृष्ण नाम* *रस पिया करो*Զเधे Զเधे जपा करो, कृष्ण नाम रस पिया करो*Զเधे देगी तुमको शक्ति, मिलेगी तुमको कृष्ण की भक्ति*Զเधे, कृपा दृष्टि बरसाया करो*, 🙏श्री Զเधे Զเधे बोलना तो पड़ेगा 🙏 जय श्रीԶเधॆ जयश्री Զเधॆ ԶเधॆԶเधॆजय श्रीԶเधॆ श्रीԶเधॆ जयश्रीԶเधॆ श्रीԶเधॆ जयԶเधॆ ԶเधॆԶเधॆ श्रीԶเधॆ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जय श्री राधे🌹 जय श्री राधे 🌹जय श्री राधे🌹🌹राधे 🌹🌹राधे🌹🌹 राधे 🌹🌹राधे 🌹🌹राधे 🌹राधे 🌹राधे🌹 राधे 🌹राधे 🌹राधे 🌹राधे 🌹राधे 🌹राधे 🌹राधे 🌹राधे 🌹राधे 🌹🌹🙏🏻🙏🏻" 🌹‼️ ◉✿Զเधॆ_Զเधॆ✿◉‼🌹 ┈┉┅━❀꧁ω❍ω꧂❀━┅┉┈🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩श्री राधे कृष्णा अलबेली सरकार करदो करदो बेडा पार🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩 🌼🎉😊✦✤Զเधे_Զเधे✤✦😊🎉🌼🤗▃▅▆▓✿Զเधे__Զเधे✿▓▆▅▃🤗 😇*✹•⁘••⁘•श्री•⁘••⁘•✹*😇राधा 🥰*•°``°•.🙏¸.•°``°•.*,🥰 राधे 😍 *( Զเधे_राधे*😍किर्तन् 😘 •.¸ राधे ¸.•😘 पोस्ट 🤩°•.¸¸.•° 🤩 Vnita ❤️* ¸🙏श्री.·´¸.·´¨)¸.·*¨)* ❤️ 🌹 *(¸.·´ (¸.·´ . #कृष्णा 🌹 🌹•☆.•*´¨`*•• ❉✹,_,_,_,_,_,🦚,_,_,_,_,_,✹❉🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩श्री राधे कृष्णा अलबेली सरकार करदो करदो बेडा पार🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩 ❖❖❖❖❖❖❖❖❖❖❖❖❖❖जय श्री राधे कृष्णा 🧡💛💚💙💜🤎💜💙💚💛🧡 💖🏵️🕉️||राधे❤राधे||🕉️🏵️💖 💖🏵️✡️||जय_श्री_कृष्णा||✡️🏵️💖 🧡💛💚💙💜🤎💜💙💚💛🧡🍊🍋🥭🍍 राधे राधे कृष्णा जी🫐🍓🍒🍑🍐 👏👏👏👏 प्रातः वंदना जी 👏👏👏👏👏👏🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦚🦚🦚🦚 राधे राधे श्याम मिला दे🦚🦚🦚🦚💃💃💃💃💃💃💃💃💃💃💃,💞💃 हे मेरे प्यारे सांवरिया...💃 💞💃अपना चंदा सा मुखड़ा दिखाए जा,💃💃मोर मुकुट वारे, घुंघराली लट वाले।💃💃💃💃💃💃💃💃💃💃💃💃 ❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️ ❣️तुम बिन मोहन चैन पड़े ना,❣️ ❣️नयनो से उलझाए नैना।!!!❣️ ❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰मेरी अखियन बीच समाए जा,,,,,,,,🥰🥰मोर मुकुट वारे, घुंघराली लट वाले॥🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰 ,💘💘💘💘💘💘💘💘💘 💘बेदर्दी तोहे दर्द ना आवे,,,,💘 💘काहे जले पे लोण लगावे।💘 💘💘💘💘💘💘💘💘💘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘 😘आजा प्रीत की रीत निभाए जा,,,,,,😘😘मोर मुकुट वारे, घुंघराली लट वाले॥😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘 💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖 💖बांसुरी अधरन धर मुसकावे,💖 💖घायल कर क्यूँ नयन चुरावे।💖 💖💖💖💖💖💖💖💖💖🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩आजा श्याम पीया आजा आए जा,🤩🤩मोर मुकुट वारे, घुंघराली लट वाले,🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩 💌💌💌💌💌💌💌💌💌 💌काहे तों संग प्रीत लगाई,💌 💌निष्ठुर निकला तू हरजाई।💌 💌💌💌💌💌💌💌💌😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍लागा प्रीत का रोग मिटाए जा,,,,,,,😍😍मोर मुकुट वारे, घुंघराली लट वाले॥😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍 ⭕⭕⭕⭕⭕⭕⭕⭕⭕ ⭕टेढ़ी तोरी लकुटी कमरिया,⭕ ⭕टेढो तू चितचोर सांवरिया।⭕ ⭕⭕⭕⭕⭕⭕⭕⭕⭕👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏टेढ़ी नज़रों के तीर चलाए जा,,,,,,,👏👏मोर मुकुट वारे, घुंघराली लट वाले॥👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏 🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩श्री राधे कृष्णा अलबेली सरकार करदो करदो बेडा पार🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩 ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞ 💖🏵️✡️||राधे❤राधे||✡️🏵️💖 💖🏵️✡️||जय_श्री_कृष्णा||✡️🏵️💖 ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩#बाल #वनिता #महिला #वृद्ध #आश्रम #संगरिया #राजस्थान #पंजाब🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩श्री राधे कृष्णा अलबेली सरकार करदो करदो बेडा पार🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩

🌹 ((((राधे     राधे राधे 🌹      ++++++++++++++++       🌻 मंगलमय शुभ प्रभात वंदन 🌻    🚩═════•ॐ•═════🚩     ꧁#जय_श्री__कृष्ण꧂            💢💢💢💢💢 ༺꧁ Զเधॆ Զเधॆ꧂༻              🌹🌹🌹  . 🌹 🌹 जय श्री कृष्ण जय श्री राधे राध्ध्ध्ध्धे      सभी भक्त अपनी हाजरी लगाये 💐 #जयश्री #राधे_राधे 💐 ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷      वृन्दावन का कण कण बोले  श्री राधा..श्री राथा.. श्री राधा ..श्री राधा हमारो धन राधा श्रीराधा श्रीराधा         हमारो धन रा-धा राधा राधा। प्राणधन रा-धा राधा राधा।🌹       जीवन धन रा-धा राधा राधा 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *बरसाने की लाड़ली राधा,* *हर लेती है सब दुःख बाधा,* *राधा के संग झूमें कान्हाँ,* *कान्हाँ के संग झूमीं सखियाँ,*  *ये अंबर बोले राधा,*   *बृज मंडल बोले राधा,* *कान्हाँ की मुरली बोले राधा,* *राधा राधा बस राधा,* *इश्क तृष्णा, ओ मेरे कृष्णा,* *मीरा रोये...