♻️💧♻️💧♻️💧♻️💧♻️💧♻️*प्रारब्ध के दुख-सुख का विधान स्वयं ईश्वर करता है इसी से वह "जगत नियंता" कहलाता है।*By #वनिता #कासनियां #पंजाब? *नियंता तो ईश्वर है यह हम जानते हैं परंतु सभी अपनी अपनी शक्ति के अनुसार नियमन करते हैं।* *ईश्वर पुनः "सर्वशक्तिमान" भी है, अतएव अमुक कार्य उससे हो सकता है या नहीं, यह प्रश्न ही नहीं उठता।* *और यदि यह माने कि "ईश्वर सर्वशक्तिमान "तो है पर उसके सेवक या प्रतिनिधि तो भूल कर सकते हैं।* *इसका उत्तर यह है कि "भगवान सर्वव्यापक" हैं इसीलिए हमारा कार्य कोई करने के लिए उनको दौड़ना नहीं पड़ता और इस कारण उनको किसी नौकर की जरूरत ही नहीं पड़ती।* *परंतु उनकी जानकारी के बिना कोई अन्याय हो जाए तो क्या हो?* *इसका उत्तर यह है कि "परमेश्वर सर्वज्ञ" है उनकी जानकारी के बिना तिनका भी हिल नहीं सकता इसलिए उनसे कुछ छिपा नहीं रह सकता।* *इतना होने के साथ ही प्रभु हमारे "सुहृदय" हैं वे जो कुछ भी विधान करेंगे उसमें निश्चय ही हमारा मंगल हित होगा, इसके लिए यह जरूरी है ईश्वर के सानिध्य का नित्य सुहृदय-- जीवन धन्य हो जाएगा।*🎋🎈🎋🎈🎋🎈🎋🎈🎋🎈🎋*🛐🛐 एक भक्त की वाणी**अरे मन!-- भगवन् नाम से परे कुछ है ही नहीं,,,, फिर तुम्हारा लक्ष्य तो भगवत प्राप्ति है,क्या सोच रहे हो,,,,?**हे मन! भाव बने न बने ,, तुम तो डटकर प्रभु का नाम स्मरण करो बस ,, तुम्हारा इतना ही काम है, बाकी प्रभु सब संभाल लेंगे,,,, मन! अहंकार नहीं करना, नाम भी प्रभु कृपा से ही आएगा ,,, तुम्हारे बल से नहीं,,,,,* *आज भगवान से सबको संसार ही चाहिए, भगवान को कोई नहीं चाहता ,,, अरे मन--- सोचो,,, तुम जितना परिवार के एक प्राणी से प्यार करते हो, उतना क्या भगवान से कभी प्यार (प्रेम) किया है,,,**सोचो,,,,? मंदिर जाते हैं, यही कामना लेकर, क्या,,,,? तुम वही खड़े रहो, हमें संसार का सामान धन, पुत्र, मान- प्रतिष्ठा (सामान) दे दो,,, सोचो,,,?*
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*प्रारब्ध के दुख-सुख का विधान स्वयं ईश्वर करता है इसी से वह "जगत नियंता" कहलाता है।*
By #वनिता #कासनियां #पंजाब?
*नियंता तो ईश्वर है यह हम जानते हैं परंतु सभी अपनी अपनी शक्ति के अनुसार नियमन करते हैं।*
*ईश्वर पुनः "सर्वशक्तिमान" भी है, अतएव अमुक कार्य उससे हो सकता है या नहीं, यह प्रश्न ही नहीं उठता।*
*और यदि यह माने कि "ईश्वर सर्वशक्तिमान "तो है पर उसके सेवक या प्रतिनिधि तो भूल कर सकते हैं।*
*इसका उत्तर यह है कि "भगवान सर्वव्यापक" हैं इसीलिए हमारा कार्य कोई करने के लिए उनको दौड़ना नहीं पड़ता और इस कारण उनको किसी नौकर की जरूरत ही नहीं पड़ती।*
*परंतु उनकी जानकारी के बिना कोई अन्याय हो जाए तो क्या हो?*
*इसका उत्तर यह है कि "परमेश्वर सर्वज्ञ" है उनकी जानकारी के बिना तिनका भी हिल नहीं सकता इसलिए उनसे कुछ छिपा नहीं रह सकता।*
*इतना होने के साथ ही प्रभु हमारे "सुहृदय" हैं वे जो कुछ भी विधान करेंगे उसमें निश्चय ही हमारा मंगल हित होगा, इसके लिए यह जरूरी है ईश्वर के सानिध्य का नित्य सुहृदय-- जीवन धन्य हो जाएगा।*
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*🛐🛐 एक भक्त की वाणी*
*अरे मन!-- भगवन् नाम से परे कुछ है ही नहीं,,,, फिर तुम्हारा लक्ष्य तो भगवत प्राप्ति है,क्या सोच रहे हो,,,,?*
*हे मन! भाव बने न बने ,, तुम तो डटकर प्रभु का नाम स्मरण करो बस ,, तुम्हारा इतना ही काम है, बाकी प्रभु सब संभाल लेंगे,,,, मन! अहंकार नहीं करना, नाम भी प्रभु कृपा से ही आएगा ,,, तुम्हारे बल से नहीं,,,,,*
*आज भगवान से सबको संसार ही चाहिए, भगवान को कोई नहीं चाहता ,,, अरे मन--- सोचो,,, तुम जितना परिवार के एक प्राणी से प्यार करते हो, उतना क्या भगवान से कभी प्यार (प्रेम) किया है,,,*
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