‼️2️⃣0️⃣‼️‼️1️⃣0️⃣‼️‼️2️⃣0️⃣2️⃣2️⃣‼️🕉🕉🕉🔴#आज_का_अमृत_ज्ञान 🔴🕉🕉🕉एक बार अर्जुन ने कृष्ण से पूछा- माधव.. ये 'सफल जीवन' क्या होता है ? कृष्ण अर्जुन को पतंग उड़ाने ले गए। अर्जुन कृष्ण को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था. थोड़ी देर बाद अर्जुन बोला-🔴🔴🔴🌼🌼🌼☘️☘️☘️🌼🌼🌼🔴🔴🔴माधव.. ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें ? ये और ऊपर चली जाएगी| कृष्ण ने धागा तोड़ दिया .. पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...‼️‼️‼️🕉🕉🕉🔴🔴🔴🕉🕉🕉‼️‼️‼️तब कृष्ण ने अर्जुन को जीवन का दर्शन समझाया...पार्थ.. 'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं.. हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं; जैसे : 👉 -घर- 👉 -परिवार- 👉 -अनुशासन- 👉-माता-पिता- 👉 -गुरू-और- 👉-समाज-🔴🔴🔴☘️☘️☘️🕉🕉🕉☘️☘️☘️🔴🔴🔴और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं... वास्तव में यही वो धागे होते हैं - जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं.. इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो बिन धागे की पतंग का हुआ...' "अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना.." *धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही 'सफल जीवन कहते हैं*.."🕉🕉🕉☘️☘️☘️🔴🔴🔴☘️☘️☘️🕉🕉🕉‼️‼️*#आप_सभी_का_जीवन_मंगलमय_हो*‼️. ๑;ु ,(-_-), '\'''''.\'='-. जय श्री कृष्णा \/..\\,' //"") Զเधे Զเधे (\ / 🌹❤🌹 \ |, 🙏🏻जय हो श्री द्वारकाधीश....JiBy वनिता कासनियां पंजाब 🌹🪴🙏🙏🪴🌹╲\╭┓╭🌷 ╯ ⚛🙏⚛┗╯\╲🌹 #Զเधे_Զเधे_जी.....💦 ❀#_जय_श्री__कृष्ण 🌱 💥#राधे_राधे❀༄༅🌹
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🕉🕉🕉🔴#आज_का_अमृत_ज्ञान 🔴🕉🕉🕉
एक बार अर्जुन ने कृष्ण से पूछा- माधव.. ये 'सफल जीवन' क्या होता है ? कृष्ण अर्जुन को पतंग उड़ाने ले गए। अर्जुन कृष्ण को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था. थोड़ी देर बाद अर्जुन बोला-
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माधव.. ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें ? ये और ऊपर चली जाएगी| कृष्ण ने धागा तोड़ दिया .. पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...
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तब कृष्ण ने अर्जुन को जीवन का दर्शन समझाया...
पार्थ.. 'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं..
हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं; जैसे :
👉 -घर-
👉 -परिवार-
👉 -अनुशासन-
👉-माता-पिता-
👉 -गुरू-और-
👉-समाज-
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और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं... वास्तव में यही वो धागे होते हैं - जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं.. इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो बिन धागे की पतंग का हुआ...' "अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना.." *धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही 'सफल जीवन कहते हैं*.."
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'\'''''.\'='-. जय श्री कृष्णा
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🙏🏻जय हो श्री द्वारकाधीश....Ji
By वनिता कासनियां पंजाब 🌹🪴🙏🙏🪴🌹
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