🌹🌹🌼💖#श्रद्धा_की_महिमा 💖🌼🌹🌹बहुत समय पहले की बात है वृन्दावन में श्रीबांकेबिहारी जी के मंदिर में रोज पुजारी जी बड़े भाव से सेवाकरते थे। वे रोज बिहारी जी की आरती करते , भोगलगाते और उन्हें शयन कराते और रोज चार, लड्डूभगवान के बिस्तर के पास रख देते थे। उनका यह भावथा कि बिहारी जी को यदि रात में भूख लगेगी तो वे उठकर खा लेंगे। 🟥🟥🟥🟩🟩🟩🟧🟧🟧🟪🟪🟪🟨🟨🟨और जब वे सुबह मंदिर के पट खोलते थे तो भगवान के बिस्तर पर प्रसाद बिखरा मिलता था। इसी भाव से वे रोज ऐसा करते थेI एक दिन बिहारी जी को शयन कराने के बाद वे चार लड्डू रखना भूल गए। उन्होंने पट बंद किए और चले गए। 🟥🟥🟥🟩🟩🟩🟧🟧🟧🟪🟪🟪🟨🟨🟨रात में करीब एक-दो बजे , जिस दुकान से वे बूंदी के लड्डू आते थे , उन बाबा की दुकान खुली थी। वे घरजाने ही वाले थे तभी एक छोटा सा बालक आया औरबोला बाबा मुझे बूंदी के लड्डू चाहिए। बाबा ने कहा - लाला लड्डू तो सारे ख़त्म हो गए। 🟥🟥🟥🟩🟩🟩🟧🟧🟧🟪🟪🟪🟨🟨🟨अब तो मैं दुकान बंद करने जा रहा हूँ। वह बोला आप अंदर जाकर देखो आपके पास चार लड्डू रखे हैं। उसके हठ करने पर बाबा ने अंदर जाकर देखा तो उन्हें चार लड्डू मिल गए क्यों कि वे आज मंदिर नहीं गए थे। बाबा ने कहा - पैसे दो। बालक ने कहा - मेरे पास पैसे तो नहीं हैं और तुरंत अपने हाथ से सोने का कंगन उतारा और बाबा को देने लगे। तो बाबा ने कहा - लाला पैसे नहीं हैं तो रहने दो🟥🟥🟥🟩🟩🟩🟧🟧🟧🟪🟪🟪🟨🟨🟨कल अपने बाबा से कह देना , मैं उनसे ले लूँगा। पर वहबालक नहीं माना और कंगन दुकान में फैंक कर भागगया। सुबह जब पुजारी जी ने पट खोला तो उन्होंने देखाकि बिहारी जी के हाथ में कंगन नहीं है। यदि चोर भीचुराता तो केवल कंगन ही क्यों चुराता। थोड़ी देर बादये बात सारे मंदिर में फ़ैल गई। जब उस दुकान वाले को पता चला तो उसे रात की बात याद आई। उसने अपनी दुकान में कंगन ढूंढा और🟥🟥🟥🟩🟩🟩🟧🟧🟧🟪🟪🟪🟨🟨🟨पुजारी जी को दिखाया और सारी बात सुनाई। तब पुजारी जी को याद आया कि रात में , मैं लड्डू रखना ही भूल गया था। इसलिए बिहारी जी स्वयं लड्डू लेने गए थे। यदि भक्ति में भक्त कोई सेवा भूल भी जाता है तोभगवान अपनी तरफ से पूरा कर लेते हैं।🟥🟥🟥🟩🟩🟩🟧🟧🟧🟪🟪🟪🟨🟨🟨🌹 मांगी थी इक कली उतार कर हार दे दिया. 🌹 🌹 चाही थी एक धुन अपना सितार दे दिया 🌹🌹 झोली बहुत ही छोटी थी मेरी "कृष्णा" 🌹🌹 तुमने तो कन्हैया हंस कर सारा संसार दे दिया. 🌹🟥🟥🟥🟩🟩🟩🟧🟧🟧🟪🟪🟪🟨🟨🟨"""""""जय जय श्री राधे कृष्णा""""". ๑;ु ,(-_-), '\'''''.\'='-. जय श्री कृष्णा \/..\\,' //"") Զเधे Զเधे (\ / 🌹❤🌹 \ |, 🙏🏻जय हो श्री द्वारकाधीश....Ji╲\╭┓╭🌷 ╯ ⚛🙏⚛┗╯\╲🌹 #Զเधे_Զเधे_जी.....💦 ❀#_जय_श्री__कृष्ण 🌱 💥#राधे_राधे❀༄༅🌹‼️2️⃣0️⃣‼️‼️1️⃣0️⃣‼️‼️2️⃣0️⃣2️⃣2️⃣‼️🕉🕉🕉🔴#आज_का_अमृत_ज्ञान 🔴🕉🕉🕉एक बार अर्जुन ने कृष्ण से पूछा- माधव.. ये 'सफल जीवन' क्या होता है ? कृष्ण अर्जुन को पतंग उड़ाने ले गए। अर्जुन कृष्ण को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था. थोड़ी देर बाद अर्जुन बोला-🔴🔴🔴🌼🌼🌼☘️☘️☘️🌼🌼🌼🔴🔴🔴माधव.. ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें ? ये और ऊपर चली जाएगी| कृष्ण ने धागा तोड़ दिया .. पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...By वनिता कासनियां पंजाब 🌹🪴🙏🙏🌷🌹‼️‼️‼️🕉🕉🕉🔴🔴🔴🕉🕉🕉‼️‼️‼️तब कृष्ण ने अर्जुन को जीवन का दर्शन समझाया...पार्थ.. 'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं.. हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं; जैसे : 👉 -घर- 👉 -परिवार- 👉 -अनुशासन- 👉-माता-पिता- 👉 -गुरू-और- 👉-समाज-🔴🔴🔴☘️☘️☘️🕉🕉🕉☘️☘️☘️🔴🔴🔴और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं... वास्तव में यही वो धागे होते हैं - जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं.. इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो बिन धागे की पतंग का हुआ...' "अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना.." *धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही 'सफल जीवन कहते हैं*.."🕉🕉🕉☘️☘️☘️🔴🔴🔴☘️☘️☘️🕉🕉🕉‼️‼️*#आप_सभी_का_जीवन_मंगलमय_हो*‼️. ๑;ु ,(-_-), '\'''''.\'='-. जय श्री कृष्णा \/..\\,' //"") Զเधे Զเधे (\ / 🌹❤🌹 \ |, 🙏🏻जय हो श्री द्वारकाधीश....Ji╲\╭┓╭🌷 ╯ ⚛🙏⚛┗╯\╲🌹 #Զเधे_Զเधे_जी.....💦 ❀#_जय_श्री__कृष्ण 🌱 💥#राधे_राधे❀༄༅🌹
🌹🌹🌼💖#श्रद्धा_की_महिमा 💖🌼🌹🌹 बहुत समय पहले की बात है वृन्दावन में श्रीबांके बिहारी जी के मंदिर में रोज पुजारी जी बड़े भाव से सेवा करते थे। वे रोज बिहारी जी की आरती करते , भोग लगाते और उन्हें शयन कराते और रोज चार लड्डू भगवान के बिस्तर के पास रख देते थे। उनका यह भाव था कि बिहारी जी को यदि रात में भूख लगेगी तो वे उठ कर खा लेंगे। 🟥🟥🟥🟩🟩🟩🟧🟧🟧🟪🟪🟪🟨🟨🟨 और जब वे सुबह मंदिर के पट खोलते थे तो भगवान के बिस्तर पर प्रसाद बिखरा मिलता था। इसी भाव से वे रोज ऐसा करते थेI एक दिन बिहारी जी को शयन कराने के बाद वे चार लड्डू रखना भूल गए। उन्होंने पट बंद किए और चले गए। 🟥🟥🟥🟩🟩🟩🟧🟧🟧🟪🟪🟪🟨🟨🟨 रात में करीब एक-दो बजे , जिस दुकान से वे बूंदी के लड्डू आते थे , उन बाबा की दुकान खुली थी। वे घर जाने ही वाले थे तभी एक छोटा सा बालक आया और बोला बाबा मुझे बूंदी के लड्डू चाहिए। बाबा ने कहा - लाला लड्डू तो सारे ख़त्म हो गए। 🟥🟥🟥🟩🟩🟩🟧🟧🟧🟪🟪🟪🟨🟨🟨 अब तो मैं दुकान बंद करने जा रहा हूँ। वह बोला आप अंदर जाकर देखो आपके पास चार लड्डू रखे हैं। उसके हठ करने पर बाबा ने अंदर जाकर देखा ...